यूँ ही बे-सबब ना फ़िरा करो ♪ यूँ ही बे-सबब ना फ़िरा करो कोई शाम घर भी रहा करो यूँ ही बे-सबब ना फ़िरा करो कोई शाम घर भी रहा करो वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके-चुपके पढ़ा करो यूँ ही बे-सबब ना फ़िरा करो कोई शाम घर भी रहा करो ♪ कोई हाथ भी ना मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से कोई हाथ भी ना मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से ये नएँ मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके-चुपके पढ़ा करो यूँ ही बे-सबब ना फ़िरा करो कोई शाम घर भी रहा करो ♪ मुझे इश्तिहार सी लगती हैं ये मोहब्बतों की कहानियाँ मुझे इश्तिहार सी लगती हैं ये मोहब्बतों की कहानियाँ जो कहा नहीं वो सुना करो जो सुना नहीं वो कहा करो वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके-चुपके पढ़ा करो यूँ ही बे-सबब ना फ़िरा करो कोई शाम घर भी रहा करो कोई शाम घर भी रहा करो कोई शाम घर भी रहा करो