मैं तेरी राहों में थी, तू मंज़िल मेरी
तू मेरा सब कुछ था पर मैं कुछ ना तेरी
खुद से हँसके करती थी तेरी ही बातें
तुझको हर पल रखती थी खुद से आगे
क्यूँ तलाशे मुझे? नहीं मेरे निशां
हूँ परछाई तेरी जिसे ना है अपना पता
एक आवाज़ में, एक फ़रियाद मैं
जो तुझ तक ना पहुँची, मैं वो अनसुनी दास्तां
बेसुरी मैं, तू साज़ मेरा
बेसुरी मैं, तू साज़ मेरा
बेनज़र-सी, तू ख़्वाब मेरा
बेसुरी मैं (बेसुरी मैं), तू साज़ मेरा
बेसुरी मैं...
दूरी की डोरी खींची, पर टूट ना पाई
तू था सुबह का भोला, मैं शाम से छाई
किस्मत की सारी लक़ीरें तेरे हाथ में पाई
जिस पत्थर माथा टेका, ढोकर धाई
रोज़ चलता था दिल, और जला भी था
तुझे कब लगेगा कि तेरा भी घर है यहाँ?
लाख तूफ़ान थे, लाख थीं आँधियाँ
जो टूटा सही पर ना बिखरा, मैं वो हौसला
पर बेसुरी मैं, तू साज़ मेरा
बेसुरी मैं, तू साज़ मेरा
बेनज़र-सी, तू ख़्वाब मेरा
बेसुरी मैं, तू साज़ मेरा
बेसुरी मैं...
♪
दर्द बहलाने में, तेरी कहलाने में
तेरा हाथ चाहूँ तुझे थामने को सदा
एक पैग़ाम मैं, खड़ी चट्टान मैं
तू दे साथ पन्ने में मुझको सहारा तेरा
बेसुरी मैं, सब तेरी होके तुझमें शामिल नहीं हूँ
बेसुरी मैं, तू मेरा हासिल पर मैं क़ाफ़िल नहीं हूँ
बेसुरी मैं, मंज़िल ने ठुकराया पर हारी नहीं हूँ
बेसुरी मैं, जब से मैं खुद की ना थी, तब से तेरी हूँ
बेसुरी मैं, तू साज़ मेरा
बेसुरी मैं (बेसुरी मैं), तू साज़ मेरा
बेसुरी मैं...
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