हम जो चलने लगे, चलने लगे हैं ये रास्ते हाँ, मंज़िल से बेहतर लगने लगे हैं ये रास्ते Hmm, बैठे-बैठे ऐसे कैसे कोई रस्ता नया सा मिले? तू भी चले, मैं भी चलूँ, होंगे कम ये तभी फ़ासले (फ़ासले) आओ, तेरा-मेरा ना हो किसी से वास्ता आओ, मीलों चलें, जाना कहाँ ना हो पता हम जो चलने लगे, चलने लगे हैं ये रास्ते हाँ, मंज़िल से बेहतर लगने लगे हैं ये रास्ते आँखें खोले, नींदें बोले, "जाने कैसी जगी बेख़ुदी" यहाँ-वहाँ, देखो, कहाँ ले के जाने लगी बेख़ुदी आओ, मिल जाएगा होगा जहाँ पे रास्ता आओ, मीलों चलें, जाना कहाँ ना हो पता हम जो चलने लगे, चलने लगे हैं ये रास्ते हाँ, मंज़िल से बेहतर लगने लगे हैं ये रास्ते