टूट के हम दोनों में जो बचा वो कम सा है एक टुकड़ा धूप का अंदर-अंदर नम सा है एक धागे में हैं उलझे यूँ कि बुनते-बुनते खुल गए हम थे लिखे दीवार पे, बारिश हुई और धुल गए टूट के हम दोनों में जो बचा वो कम सा है एक टुकड़ा धूप का अंदर-अंदर नम सा है ♪ टूटे-फूटे ख़ाबों की हाय, दुनिया में रहना क्या? झूठे-मूठे वादों की हाय, लहरों में बहना क्या? हो, दिल ने दिल में ठाना है ख़ुद को फिर से पाना है दिल के ही साथ में जाना है टूट के हम दोनों में जो बचा वो कम सा है एक टुकड़ा धूप का अंदर-अंदर नम सा है ♪ सोचो ज़रा क्या थे हम हाय, क्या से क्या हो गए हिज्र वाली रातों कि हाय, क़ब्रों में सो गए हो, तुम हमारे जितने थे सच कहो क्या उतने थे जाने दो, मत कहो कितने थे रास्ता हम दोनों में जो बचा वो कम सा है एक टुकड़ा धूप का अंदर-अंदर नम सा है टूट के हम दोनों में जो बचा वो कम सा है एक टुकड़ा धूप का अंदर-अंदर नम सा है