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Devi Sri Prasad - Saath Hum Rahein - From "Drishyam 2" şarkı sözleri

Sanatçı: Devi Sri Prasad

albüm: Saath Hum Rahein (From "Drishyam 2")


जले जब सूरज, तब साथ हम रहें
ढले जब चंदा, तब साथ हम रहें
हँसी जब छलके, तब साथ हम रहें
हो भीगी पलकें, तब साथ हम रहें
ख़ुद की परछाइयाँ चाहे मुँह मोड़ ले
वास्ता तोड़ ले तभी साथ हम रहें
है हमें क्या कमी, हम बिछा कर ज़मीं
आसमाँ ओढ़ लें, यूँ ही साथ हम रहें
जले जब सूरज, तब साथ हम रहें
ढले जब चंदा, तब साथ हम रहें
हँसी जब छलके, तब साथ हम रहें
हो भीगी पलकें, तब साथ हम रहें

ख़ुश-रंग जिस तरह है ज़िंदगी अभी
इसका मिज़ाज ऐसा ही उम्र-भर रहे, उम्र-भर रहे
भूले से भी नज़र लग जाए ना कभी
मासूम ख़ुबसूरत इस क़दर रहे, इस क़दर रहे
जो बादल छाएँ, तब साथ हम रहें
बहारें आए, तब साथ हम रहें
जले जब सूरज, तब साथ हम रहें
ढले जब चंदा, तब साथ हम रहें

दिन इत्मीनान के या इम्तिहान के
जो भी नसीब हो मिलके बाँटते रहें, बाँटते रहें
काँटों के बीच से थोड़ा सँभाल के
नाज़ुक सी पत्तियाँ मिलके छाँटते रहें, छाँटते रहें
दिखे जब तारे, तब साथ हम रहें
बुझे जब सारे, तब साथ हम रहें
जले जब सूरज, तब साथ हम रहें
ढले जब चंदा, तब साथ हम रहें

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