Kishore Kumar Hits

Shashwat Sachdev - Ek Ghar şarkı sözleri

Sanatçı: Shashwat Sachdev

albüm: Sha


ख़ास-ख़ास लगती है सबको अपनी कहानी
सबके होते अफ़साने, सबकी एक ही कहानी
आओ, हम भी आम हो जाएँ
सभी के जैसे वक़्त में हम भी छपछपाएँ
हम भी अपना एक घर बनाएँ
क़ुबूला है तुमने मुझको, की मेहरबानी
बुलबुलों सी उड़ रही थी हल्की मेरी ये जवानी
आओ, अब ठहर जाएँ
सभी के जैसे वक़्त में हम भी छपछपाएँ
हम भी अपना एक घर बनाएँ
हम भी एक घर बनाएँ
हम भी एक घर सजाएँ
हम भी एक घर बनाएँ
सभी के जैसे वक़्त में हम भी छपछपाएँ
हम भी अपना एक घर बनाएँ

रूठ जाऊँ मैं तो मना लेना तुम
करने देना मुझको थोड़ी मनमानी
करना था कर लिया है फ़ैसला
अब तो साथ-साथ होगी शैतानी
कैसे बीतेगा वक़्त, ढल जाऊँगा मैं
तुम रहोगी फिर भी तूफ़ानी
पर साथ में अगर रह लो मेरे
तो शायद बरक़रार रह जाए ये जवानी
हैं महल, हैं किले, हैं इमारतें पुरानी
इनकी दीवारें बोलती वक़्त की ज़ुबानी
इनमें शामिल हो जाएँ
सभी के जैसे वक़्त में हम भी छपछपाएँ
हम भी अपना एक घर बनाएँ
नशेमन जो सँभाले सपने आसमानी
मैं हूँ भोला सा राजा
तुम शरारतों की रानी
तिनका-तिनका हम लगाएँ
सभी के जैसे वक़्त में हम भी छपछपाएँ
हम भी अपना एक घर बनाएँ
हम भी एक घर बनाएँ
हम भी एक घर सजाएँ
हम भी एक घर बनाएँ
सभी के जैसे वक़्त में हम भी छपछपाएँ
हम भी अपना एक घर बनाएँ
(हम भी एक घर बनाएँ)
हम भी एक घर सजाएँ
(हम एक घर बनाएँ)
(सभी के जैसे वक़्त में हम भी छपछपाएँ)
(हम भी अपना एक घर बनाएँ)

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