ख्वाहिशें बड़ी हैं यहाँ जा किधर रहा ये जहां उलझनों में उलझा हुआ मंज़िलें छिपी हैं कहाँ? उन दिनों की वो बातें, मुलाक़ातें रहेंगी सदा लो चल पड़े ये रास्ते ले जायेंगे जहाँ जहाँ मिल जाये वहीं मेरा समा बस एक पल के लिए आहटें पुकारे मुझे पूछते 'मेरी यादें हैं कहाँ?' हो रही इतनी क्यूं फ़िक्र उन यादों के ढेरों में कुछ तो है छुपा उन दिनों की वो बातें, मुलाक़ातें रहेंगी सदा लो चल पड़े ये रास्ते ले जायेंगे जहाँ जहाँ मिल जाये वहीं मेरा समा बस एक पल के लिए क्या से क्या मैं बन गया! ज़िंदगी में कुछ भी ना दिखे राहें धूँधली हो रही धीरे-धीरे, धीरे-धीरे