ना कटूँगी, ना जलूँगी, ना मिटूँगी, ना मरूँगी
ना कटूँगी, ना जलूँगी, ना मिटूँगी, ना मरूँगी
मैं थी, मैं हूँ, मैं रहूँगी, मैं थी, मैं हूँ, मैं रहूँगी
मैं थी, मैं हूँ, मैं रहूँगी, मैं थी, मैं हूँ, मैं रहूँगी
जब तक दरिया में है पानी और आसमाँ नीला है
जब तक सूरज तेज से चमके और अँधेरा काला है
ओ, जब तक दरिया में है पानी और आसमाँ नीला है
जब तक सूरज तेज से चमके और अँधेरा काला है
तब तक इस जहाँ का बनके प्राण रहूँगी
मैं थी, मैं हूँ, मैं रहूँगी, मैं थी, मैं हूँ, मैं रहूँगी
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मैं थी, मैं हूँ, मैं रहूँगी, मैं थी, मैं हूँ, मैं रहूँगी
जिस पे टूट पड़ी सदियों से हर वो लहरें सागर की
मैं वो अविचल शिला हूँ हर आफ़त है जिसने झेली
ओ, जिस पे टूट पड़ी सदियों से हर वो लहरें सागर की
मैं वो अविचल शिला हूँ हर आफ़त है जिसने झेली
जीने की अविनाशी चाह का अंश बनूँगी
मैं थी, मैं हूँ, मैं रहूँगी, मैं थी, मैं हूँ, मैं रहूँगी
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