पहले क्यूँ न मिले हम तन्हा ही क्यूँ चले हम मिलके मुक़म्मल हुये है या थे तन्हा भले हम साँवरे साँवरे जाने कितने लबों पे गिले है ज़िन्दगी से कयी फ़ासले है पसीजते है सपने क्यूँ आंखों में लकीरे जब छूटे इन हाथो से यूँ बेवजह सुन बैरियाँ साँवरे... जो भेजी थी दुआ वो जाके आसमां से यूँ टकरा गई की आ गयी है लौट के सदा जो भेजी थी दुआ वो जाके आसमां से यूँ टकरा गई की आ गयी है लौट के सदा साँवरे साँवरे ढलती रात का एक मुसाफ़िर सुबह अलविदा कह चला जीते जी तेरा हो सका न मरके हक़ अदा कर चला साँसों ने कहां रुख मोड़ दिया कोई राह नज़र में न आये धड़कन ने कहाँ दिल छोड़ दिया कहां छोड़े इन जिस्मों ने साये जाने कितने लबों पे गिले है ओ ज़िन्दगी से कयी फ़ासले है पसीजते है सपने क्यूँ आंखों में लकीरे जब छूटे इन हाथो से यूँ बेवज़ह सुन बैरियाँ साँवरे साँवरे जो भेजी थी दुआ वो जाके आसमां से यूँ टकरा गई की आ गयी लौट के सदा जो भेजी थी दुआ वो जाके आसमां से यूँ टकरा गई की आ गयी लौट के सदा जो भेजी थी दुआ... (भेजी थी दुआ) वो आसमां... आसमां आसमां की आ गयी लौट के सदा लौट के सदा... न गँवारा हुआ न हमारा हुआ न गँवारा हुआ इश्क़ का ये सितम न गंवारा हुआ