यह भोली धूप ओढ़ें तुम निगाहें में जो चलती हो बड़ी मुश्किल हो जाती है धड़कते दिल में आके तुम साँस बन के जो खेलती हो बड़ी ही मुश्किल हो जाती है अनजाने में या की जान बूझकर करती हो? सुंदर से भी कुछ ज़्यादा हसीन लगती हो लेकर के तुम दरिया इश्क़ का वेहती हो हो, बस में भला अपने क्यूँ नही रहती हो? यह भोली धूप ओढ़ें तुम निगाहें में जो चलती हो बड़ी मुश्किल हो जाती है धड़कते दिल में आके तुम साँस बन के जो खेलती हो बड़ी मुश्किल हो जाती है नज़र हटती नहीं तुमसे देखो ऐसा ना किया करो बढ़ा कर मुश्किलें मेरी देखो ऐसे ना जिया करो, हो-ओ लिल्लाह-हा यूँ इतनी ख़ूबसूरत ना दिखा करो लिल्लाह-हा, यूँ इतनी ख़ूबसूरत, ख़ूबसूरत ना दिखा करो लिल्लाह, लिल्लाह सरफिरे ख़्वाब ला के तुम नींदों में क्यूँ रखती हो? बड़ी मुश्किल हो जाती है धीमे से नाम जो मेरा दुआओं में पढ़ती हो बड़ी मुश्किल हो जाती है दिल-ए-हालात पर मेरी तंजे ऐसे ना कसा करो बढ़ा कर मुश्किलें मेरी देखो ऐसे ना हंसा करो लिल्लाह, लिल्लाह यूँ इतनी ख़ूबसूरत ना दिखा करो लिल्लाह, लिल्लाह यूँ इतनी ख़ूबसूरत, ख़ूबसूरत ना दिखा करो