Kishore Kumar Hits

Miel - Nikal Jaana şarkı sözleri

Sanatçı: Miel

albüm: Nikal Jaana


नदियों से भी निकल जाना
समंदर से भी निकल जाना
मेरी ज़िंदगी से निकल गई तो
मेरे अंदर से भी निकल जाना

नदियों से भी निकल जाना
समंदर से भी निकल जाना
मेरी ज़िंदगी से निकल गई तो
मेरे अंदर से भी निकल जाना
पत्थर की है तू मूरत कोई
तेरी नहीं अब ज़रूरत कोई
पत्थर की है तू मूरत कोई
तेरी नहीं अब ज़रूरत कोई
मैं जहाँ शायरी करूँ
उस मंदिर से भी निकल जाना

नदियों से भी निकल जाना
समंदर से भी निकल जाना
मेरी ज़िंदगी से निकल गई तो
मेरे अंदर से भी निकल जाना

ओ, तेरे जाने के बाद, सनम, जाम पे जाम लगने लगा
ओ, रोने की इतनी आदत पड़ी, हँसना हराम लगने लगा
ओ, तेरे जाने के बाद, सनम, जाम पे जाम लगने लगा
ओ, रोने की इतनी आदत पड़ी, हँसना हराम लगने लगा
Jaani तो इक खंडर है
उस खंडर से भी निकल जाना

नदियों से भी निकल जाना
समंदर से भी निकल जाना
मेरी ज़िंदगी से निकल गई तो
मेरे अंदर से भी निकल जाना
तेरे बिना ना जीने का वादा था तुझसे
वादा पूरा करना था, सो कर गए हम
तेरे बिना रहने से तो मरना अच्छा था
मुबारक़ हो, लो मर गए हम

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