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Roshan Prince - Fikar şarkı sözleri

Sanatçı: Roshan Prince

albüm: Fikar


मेरी किताब-ए-इश्क़ में इक ज़िक्र है तेरा
मेरी किताब-ए-इश्क़ में इक ज़िक्र है तेरा
ना जाने दिल में अभी भी क्यूँ फ़िक्र है तेरा
ना जाने दिल में अभी भी क्यूँ फ़िक्र है तेरा
ये भी सच है के अब कभी ना आएँगे वो दिन
ये भी सच है जी ना पाऊँगा आख़िर तुम बिन
कभी इक बार मैं उन लम्हों को जी पाऊँ
तेरे पहलू में रख़ के सर जो मिलता था सुकूँ
मेरी किताब-ए-इश्क़ में इक ज़िक्र है तेरा
मेरी बातों पे मुस्कुराना वो तेरा अक्सर
कभी किसी ग़म में डूब जाना वो तेरा अक्सर
वो तेरा दूर से मिलने आना है याद मुझे
मेरी बाँहों में सिमट जाना है याद मुझे
मेरी किताब-ए-इश्क़ में इक ज़िक्र है तेरा
तू मेरे सामने जो नज़रें झुकाया करती थी
दिल की कोई बात बोल भी ना पाया करती थी
वो तेरी आँख से छलका आँसू जो मैंने रोका था
रोते-रोते तेरा हँसना, हँसीन धोख़ा था
मेरी किताब-ए-इश्क़ में इक ज़िक्र है तेरा
फ़िर इक सुबह तेरा मुझसे दूर हो जाना
देख़ते-देख़ते किसी धुंध में वो खो जाना
मेरी गल्ती तो बता दे तू ख़ुदा के लिए
माफ़ियाँ माँगता हूँ अब भी जिस ख़ता के लिए
मेरी किताब-ए-इश्क़ में इक ज़िक्र है तेरा
मेरी किताब-ए-इश्क़ में इक ज़िक्र है तेरा

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