क़तरा-क़तरा पी लूँ तुझे ख़ाली हूँ मैं, भर जाऊँ लम्हा-लम्हा जी लूँ तुझे लम्हा-लम्हा मर जाऊँ क़तरा-क़तरा पी लूँ तुझे ख़ाली दिल मैं, भर जाऊँ लम्हा-लम्हा जी लूँ तुझे साँसों में उतर जाऊँ तू, तू, तू जो रू-ब-रू मेरे ग़म सारे पल-भर में छू मेरे हाथों में जो लकीरें हैं इनमें लिखी, जानाँ, तू मेरे तिनका-तिनका छू लूँ तुझे और छूते ही बिखर जाऊँ ♪ साँस रखूँ तेरी साँसों पर हाथ रखूँ तेरे बालों में इश्क़ लिखूँ तेरे काँधे पर और होंठ रखूँ तेरे गालों पे आज फ़क़त ये अफ़साने ख़्वाब से सच में बना लूँ मैं तुझको रखूँ फिर सीने में और सीने में ही छुपा लूँ मैं तू, तू, तू आए जो बाँहों में एक पल को जाने भी ना दूँ मैं हाथों में जो लकीरें हैं इनमें तुझी को बसा लूँ मैं सारी उमर जो बिगड़ा हूँ तेरे लिए ही सुधर जाऊँ