रूखे-रूखे हैं मौसम के लब बिन तेरे सूखे पेड़ों से हो गए मेरे शाम-सवेरे एक रंज है राहगुज़ारों में एक आग लगी गुलज़ारों में हर साँस घुली अंगारों में सुन भी ले मेरी सदा अब आजा, सनम, फ़िरूँ मैं बेक़रार अब आजा, सनम, करूँ तेरा इंतज़ार अब हैं अधूरी तेरे बिना रातें ये सारी मेरी अब हैं अधूरे तेरे बिना ख़्वाब ये सारे मेरे हो, तेरे बिन ना गुज़रने पे वक्त तुला है तेरे बिन जैसे दर्द हवा में घुला है जैसे चोट हरी है, जैसे ज़ख्म खुला है मेरा जीना हुआ सज़ा अब आजा, सनम, फ़िरूँ मैं बेक़रार अब आजा, सनम, करूँ तेरा इंतज़ार बिन तेरे ख़ाली-ख़ाली तारों भरा होके भी आसमाँ सूने रस्ते सारे, सूना-सूना सा है सारा जहाँ तेरे बिन, तेरे बिन, हाँ, तेरे बिन बेरुखी से कटते हैं मेरे दिन तेरे बिन जैसे जलती हैं चाँद सी रातें तेरे बिन जैसे खलती हैं होंठों को बातें जैसे कोरे वरक़, जैसे ख़ाली दवातें जैसे सबकुछ है बेवजह अब आजा, सनम, फ़िरूँ मैं बेक़रार अब आजा, सनम, करूँ तेरा इंतज़ार