दिलों की मोहब्बत को बाँधें क्यूँ हाय रे दिलों की मोहब्बत को बाँधें क्यूँ हाय रे दायरे, दायरे, दायरे, दायरे? हैं क्यूँ फ़ासले दरमियाँ लेके आए रे हैं क्यूँ फ़ासले दरमियाँ लेके आए रे दायरे, दायरे, दायरे, दायरे, दायरे? काँच के वो ख़्वाब नाज़ुक थे हमारे सारे छूने से ही टूटने लगे मन्नतों में उम्र-भर का साथ जिनका माँगा हमसफ़र वो छूटने लगे ना मरना मुनासिब, जिया भी ना जाए रे ना मरना मुनासिब, जिया भी ना जाए रे हाय रे, दायरे, दायरे, दायरे