माना दिल डरा-डरा है, टूटा ये ज़रा-ज़रा है दिल के इस बवंडर को ठहर जाने दो ♪ होंठ ये ज़रा सिले हैं, ख़ामोशी के सिलसिले हैं रात थोड़ी गहरी है, सहर आने दो ♪ तो क्या हुआ जो टूटा आज सपना ये तेरा? तो क्या हुआ जो आज कोई अपना ना मिला? कभी तो पूरा होगा ये चाहतों का घर कभी तो मिल ही जाएगा तुझको हमसफ़र तुझमें ना कमी कोई है, बस तेरा ये दिन बुरा है वक़्त की ये बातें हैं, इसे गुज़र जाने दो