अगर कुछ बातें तुम्हारे लफ़्ज़ों पे आ रही है इनकी ये आहट मुझे भी सुनाई दे रही है Hmm, छोड़ो आओ बैठो, हम करते हैं फिर से शुरू ग़िले-शिकवे, सारी बातें भूल करते हैं फिर से शुरू ♪ तुम्हारी बात है हो दिन या रात ये एक तुम ही नहीं होती हो बिन नींदों की रातें कुछ अनकही बातें तुम जाने नहीं देती हो ♪ मेरी ये ख़्वाहिश तुम्हारे पे आ के ख़तम होती है हमारी बातें, वो रातें नज़्मों में मैंने लिखी है Hmm, छोड़ो आओ बैठो, हम करते हैं फिर से शुरू ग़िले-शिकवे, सारी बातें भूल करते हैं फिर से शुरू छोड़ो आओ बैठो, हम करते हैं फिर से शुरू ग़िले-शिकवे, सारी बातें भूल करते हैं फिर से शुरू