इतनी बातें हैं कहने को ये कितनी हसीं है तू, कैसे कहूँ मैं तुझे? सुबह-सुबह तुझको देखूँ मैं ऐसे के जैसे ये आसमाँ ज़मीं को देखे हर एक रात के बाद और तुम और मैं हैं ऐसे बादलों पे हो जैसे कोई भी ना यहाँ सिर्फ़ तुम हो यहाँ और सितारों का आसरा तुम और मैं तुम और मैं तुम और मैं तुम और मैं ♪ मेरी शामें हो बातों में और तेरी इन आँखों की गहराइयों में बसी रातें अपनी लोरी में मेरी ही गाने गुनगुनाती सुबह-सुबह तुझको देखूँ मैं ऐसे के जैसे ये आसमाँ ज़मीं को देखे हर एक रात के बाद और तुम और मैं हैं ऐसे बादलों पे हो जैसे कोई भी ना यहाँ सिर्फ़ तुम हो यहाँ और सितारों का आसरा तुम और मैं तुम और मैं तुम और मैं तुम और मैं ♪ तुम और मैं तुम और मैं तुम और मैं तुम और मैं तुम और मैं तुम और मैं तुम और मैं तुम और मैं तुम और मैं