नीचे बंद कमरों में घुटन तो होती है छत पे आता हूँ तो आसमाँ हो जाता हूँ मैं ♪ कौन किसको बताता है यहाँ आसमाँ होने की बात? ख़ुद ही को तो छूना है और ख़ुद ही के साथों-साथ कौन किसको बताता है? ♪ शहर की चमक से धोखा तो होता है ज़मीर पे आता हूँ तो मैं ज़मीं हो जाता हूँ मैं ♪ कौन किसको बताता है यहाँ ज़मीं होने की बात? ख़ुद ही को तो चलना है और ख़ुद ही के साथों-साथ कौन किसको बताता है? ♪ दिमाग़ से जीने में उलझन तो होती है दिल पे आता हूँ तो मैं दरिया हो जाता हूँ मैं ♪ कौन किसको बताता है यहाँ दरिया होने की बात? ख़ुद ही को तो डुबोना है और ख़ुद ही के साथों-साथ कौन किसको बताता है?