रातों में क्यूँ सोते नहीं हो तुम? पूछोगे तो बताएँगे तुमको हम बिख़री सी जो कहानी को लेकर तुम चल पड़े हो जाने कहाँ को यूँ वक़्त कटता नहीं, ना जाने क्यूँ शामें ढलती नहीं हो कि हो तुम नहीं, ना जानो तुम बात है इतनी सी ♪ बातें जो गूँजती हैं दिल में उन्हें सुन लो ज़रा पन्नों में जो छुपी हैं ख़्वाहिशें उन्हें पढ़ लो ज़रा दफ़्न दिल के उन लफ़्ज़ों को क्यूँ भला खोदते हो यूँ दिन के उजालों में? थी मुकम्मल जो राहें, अब क्यूँ भला ख़त्म हुई हैं आधे में ही कहीं? वक़्त कटता नहीं, ना जाने क्यूँ शामें ढलती नहीं हो कि हो तुम नहीं, ना जानो तुम बात है इतनी सी वक़्त कटता नहीं, ना जाने क्यूँ शामें ढलती नहीं हो कि हो तुम नहीं, ना जानो तुम बात है इतनी सी