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Bharat Chauhan - Muddat şarkı sözleri

Sanatçı: Bharat Chauhan

albüm: Muddat - Single


मुद्दत हुई है यार के पहलू में बैठे हुए
मुद्दत हुई है उनकी आँखों में डूबे हुए
फिर भी ना जाने क्यूँ उन के होंठों की हँसी
ज़रा सी मेरे होंठों पे है
उनके बालों की ख़ुशी
ज़रा सी मेरे हाथों से लिपटी सी है
हम तो घुटनों को सीने से लगाए सोते हैं
और वो गैरों की बाँहों में ही होते हैं
जिन्हें वो अपना कहते हैं

मेरे ख़ुदा जब मैं तेरे दर पे आऊँ
इतना करना, मैं मोहब्बत की छाँव पाऊँ
ता-उम्र जलूँगा मैं उसकी चाह में
ख़ाक हो चलूँगा मैं उसकी राह में
आख़िर दूरियों में ही हम दोनों ही जलाए जाएँगे
मुद्दत हुई है यार के पहलू में बैठे हुए
मुद्दत हुई है उन की आँखों में डूबे हुए
फिर भी ना जाने क्यूँ उन के होंठों की हँसी
ज़रा सी मेरे होंठों पे है
उन के बालों की ख़ुशी
ज़रा सी मेरे हाथों से लिपटी सी है

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