Kishore Kumar Hits

Talat Aziz - Kahin Main Tha şarkı sözleri

Sanatçı: Talat Aziz

albüm: Mehboob


कहीं मैं था, दीवार-ओ-दर थे कहीं
मिला मुझको घर का पता देर से
कहीं मैं था, दीवार-ओ-दर थे कहीं
मिला मुझको घर का पता देर से
दिया तो बहुत ज़िंदगी ने मुझे
दिया तो बहुत ज़िंदगी ने मुझे
मगर जो दिया, वो दिया देर से
कहीं मैं था, दीवार-ओ-दर थे कहीं
मिला मुझको घर का पता देर से

हुआ ना कोई काम मामूल से
गुज़ारे सब रोज़ कुछ इस तरह
हुआ ना कोई काम मामूल से
गुज़ारे सब रोज़ कुछ इस तरह
कभी चाँद चमका ग़लत वक़्त पर
कभी घर में सूरज उगा देर से
कभी चाँद चमका ग़लत वक़्त पर
कभी घर में सूरज उगा देर से
दिया तो बहुत ज़िंदगी ने मुझे
दिया तो बहुत ज़िंदगी ने मुझे
मगर जो दिया, वो दिया देर से
कहीं मैं था, दीवार-ओ-दर थे कहीं
मिला मुझको घर का पता देर से

कहीं रुक गया राह में बे-शबब
कहीं वक़्त से पहले घिर आई शब
कहीं रुक गया राह में बे-शबब
कहीं वक़्त से पहले घिर आई शब
कहीं रुक गया राह में बे-शबब
कहीं वक़्त से पहले घिर आई शब
हुए बंद दरवाजे खुल-खुल के सब
जहाँ भी गया मैं गया देर से
हुए बंद दरवाजे खुल-खुल के सब
जहाँ भी गया मैं गया देर से
दिया तो बहुत ज़िंदगी ने मुझे
मगर जो दिया, वो दिया देर से
कहीं मैं था, दीवार-ओ-दर थे कहीं
मिला मुझको घर का पता देर से

भटकती रही यूँ ही हर बंदगी
मिली ना कहीं से कोई रौशनी
भटकती रही यूँ ही हर बंदगी
मिली ना कहीं से कोई रौशनी
छुपा था कहीं भीड़ में आदमी
हुआ मुझ में रोशन खुदा देर से
छुपा था कहीं भीड़ में आदमी
हुआ मुझ में रोशन खुदा देर से
दिया तो बहुत ज़िंदगी ने मुझे
दिया तो बहुत ज़िंदगी ने मुझे
मगर जो दिया, दिया देर से
कहीं मैं था, दीवार-ओ-दर थे कहीं
मिला मुझको घर का पता देर से

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