Kishore Kumar Hits

Talat Aziz - Rone Se Aur şarkı sözleri

Sanatçı: Talat Aziz

albüm: Ghalib


Ghalib के साथ ज़िंदगी का सुलूक कुछ अच्छा नहीं रहा
उन्होंने जिसे चाहे वो कुछ दिन के बाद उनका साथ छोड़ गया
बचपन में वालिद का साया सर से उठा
जवानी में भाई ने साथ छोड़ा
सात बच्चों के बाप बने लेकिन कोई ज़िंदा ना रहा
एक लड़के को गोद लिया, मगर, वो भी जवान होकर ख़त्म हो गया
इन मुसलसल हादसों ने Ghalib को तोड़ दिया
उन्होंने अपने बारे में एक जगह ख़त में लिखा है
"मैं हर काम को ख़ुदा की तरफ़ से समझता हूँ
और ख़ुदा से लड़ा नहीं जा सकता
अपनी मजबूरी पर रोया ज़रूर जा सकता है"

रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए
रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए
धोए गए हम ऐसे...
धोए गए हम ऐसे कि बस पाक हो गए
रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए
रोने से और इश्क़ में...

कहता है कौन नाला-ए-बुलबुल को बे-असर?
कहता है कौन नाला-ए-बुलबुल को बे-असर?
कहता है कौन नाला-ए-बुलबुल को बे-असर?
कहता है कौन नाला-ए-बुलबुल को बे-असर?
परदे में गुल के लाख जिगर-चाक हो गए
परदे में गुल के लाख जिगर-चाक हो गए
धोए गए हम ऐसे...
धोए गए हम ऐसे कि बस पाक हो गए
रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए
रोने से और इश्क़ में...

करने गए थे उससे तग़ाफ़ुल का हम गिला
करने गए थे उससे तग़ाफ़ुल का हम गिला
करने गए थे उससे तग़ाफ़ुल का हम गिला
करने गए थे उससे तग़ाफ़ुल का हम गिला
की एक ही निगाह कि बस ख़ाक हो गए
की एक ही निगाह कि बस ख़ाक हो गए
धोए गए हम ऐसे...
धोए गए हम ऐसे कि बस पाक हो गए
रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए
रोने से और इश्क़ में...

इस रंग से उठाई कल उसने असद की लाश
इस रंग से उठाई कल उसने असद की लाश
इस रंग से उठाई कल उसने असद की लाश
इस रंग से उठाई कल उसने असद की लाश
दुश्मन भी जिसको देख के ग़मनाक हो गए
दुश्मन भी जिसको देख के ग़मनाक हो गए
धोए गए हम ऐसे...
धोए गए हम ऐसे कि बस पाक हो गए
रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए
रोने से और इश्क़ में...

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