मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो मुझे तुम कभी भी भुला ना सकोगे ना जाने मुझे क्यों यक़ीं हो चला है मेरे प्यार को तुम मिटा ना सकोगे मुझे तुम नजर से... कभी नाम बातों में आया जो मेरा तो बेचैन हो हो के दिल थाम लोगे निगाहों में छायेगा ग़म का अंधेरा किसी ने जो पूछा, सबब आँसुओं का बताना भी चाहो, बता ना सकोगे मुझे तुम नजर से... मेरे दिल की धड़कन बनी है जो शोला सुलगते हैं अरमाँ, यूँ बन -बन के आँसू कभी तो तुम्हें भी ये अहसास होगा मगर हम ना होंगे, तेरी ज़िन्दगी में बुलाना भी चाहो, बुला ना सकोगे मुझे तुम नजर से... मेरी याद होगी, जिधर जाओगे तुम, कभी नग़मा बन के, कभी बन के आँसू तड़पता मुझे हर तरफ़ पाओगे तुम शमा जो जलायी मेरी वफ़ा ने बुझाना भी चाहो, बुझा ना सकोगे मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो मुझे तुम कभी भी भुला ना सकोगे मुझे तुम नजर से...