चोट जिगर पर खाई ऐसे चोट जिगर पर खाई ऐसे मैं जानूँ या वो जाने ग़म में ईद मनाई कैसे ग़म में ईद मनाई कैसे मैं जानूँ या वो जाने चोट जिगर पर खाई ऐसे ♪ चोट लगे तो पत्थर टूटे दिल तो आख़िर दिल ही है दर्द-ए-दिल को दिल ही जाने मुँह से कहना मुश्किल है दिल में आग छुपाई कैसे दिल में आग छुपाई कैसे मैं जानूँ या वो जाने चोट जिगर पर खाई ऐसे ♪ क्या जाने वो प्यार का रिश्ता जिसने दिल को तोड़ा हो हम माँनेंगे उसे फ़रिश्ता जिसने दिल को जोड़ा हो प्यार की कैसी है गहराई प्यार की कैसी है गहराई मैं जानूँ या वो जाने चोट जिगर पर खाई ऐसे ♪ कहते जिसको है शहनाई उसका दिल भी रोता है हर एक साज़ में दर्द छुपा है चोट से पैदा होता है कब देता है दर्द दिखाई कब देता है दर्द दिखाई मैं जानूँ या वो जाने चोट जिगर पर खाई ऐसे मैं जानूँ या वो जाने ग़म में ईद मनाई कैसे मैं जानूँ या वो जाने चोट जिगर पर खाई ऐसे