Kishore Kumar Hits

Sneha Khanwalkar - Roye Dharti Roye Amber şarkı sözleri

Sanatçı: Sneha Khanwalkar

albüm: Republic Day Special


रोये धरती, रोये अम्बर, रोते परबत सारे
जाने इंसान क्यों बने, इंसानो के हत्यारे
अँधेरी रात में रोले, गीता और क़ुरान
सुलगतो हिंदुस्तान, रे म्हारो प्यारो राजस्थान
कहीं सुहागन बन गयी विधवा
मिट गयो मांग सिंदूर
पग पग साथे चलने वालो
साथी हो गयो दूर
दुल्हन बन जो खाब सजाये
टूट गए पल में सारे
मन की मूरत लाश बानी अब
जीए तो किसके सहारे
सुलगतो हिंदुस्तान, रे म्हारो प्यारो राजस्थान
कहीं उजाड़ गए हैं घर सारे
कहीं उजड़ा हैं देखो बचपन
अब कौन सुनाएगा लोरी
बिन माँ के कैसा ये बचपन
इस आग से कौन बचाये
हर कोई बैठा हैं डर से
उम्मीद नहीं वापस आने की
सोचे जब निकले घर से
सुलगतो हिंदुस्तान, रे म्हारो प्यारो राजस्थान
यहाँ पंछियो की किलमिल में
हर सुबह फूल खिलाती हैं
यहाँ शाम तारों को भूलके
रात की सेज सजती हैं
यहाँ पुरवाई सावन झूले
बात यहीं सब करते है
बुरी नज़र किसकी हैं वतन पे
मजहब सारे कहते हैं
सुलगतो हिंदुस्तान, रे म्हारो प्यारो राजस्थान
रोये धरती, रोये अम्बर, रोते परबत सारे
जाने इंसान क्यों बने, इंसानो के हत्यारे
अँधेरी रात में रोले, गीता और क़ुरान
सुलगतो हिंदुस्तान, रे म्हारो प्यारो राजस्थान

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