मुद्दतें हो गई हैं, चुप रहते मुद्दतें हो गई हैं, चुप रहते कोई सुनता, तो हम भी कुछ कहते मुद्दतें हो गई हैं ♪ जल गया ख़ुश्क हो के, दामन-ए-दिल अश्क आँखों से और क्या बहते अश्क आँखों से और क्या बहते मुद्दतें हो गई हैं हम को जल्दी ने मौत की मारा और जीते तो, और ग़म सहते और जीते तो, और ग़म सहते मुद्दतें हो गई हैं आ... आ... सब ही सुनते तुम्हारी, ऐ महशर सब ही सुनते तुम्हारी, ऐ महशर कोई कहने की बात, अगर कहते कोई कहने की बात, अगर कहते मुद्दतें हो गई हैं, चुप रहते कोई सुनता, तो हम भी कुछ कहते मुद्दतें हो गई हैं