Kishore Kumar Hits

Farah - Baharon Ki Ranginiyon Ko Chura Kar şarkı sözleri

Sanatçı: Farah

albüm: Naseeb Apna Apna


बहारों की रंगीनियों को चुराकर
वो कलियों की मुस्कान होंठों पे लेकर
सितारों से वो माँग अपनी सजाकर
वो आएगी एक दिन मेरे पास चलकर
वही है वही मेरी जुस्तजू
तस्वीर जिस की आँखों में है
बहारों की रंगीनियों को चुराकर
वो कलियों की मुस्कान होंठों पे लेकर
सितारों से वो माँग अपनी सजाकर
वो आएगी एक दिन मेरे पास चलकर

झील के जैसी गहरी वो आँखें
मदिरा के छलके प्याले हो जिन में
कमर होगी उस की ऐसी कि
जैसे कोई लचकती फूलों की डाली
कोई लचकती फूलों की डाली
कटी डोर लहराए जैसे हवा पर
जो मुश्किल से हाथों मे आए, सितमगर
वो आएगी एक दिन मेरे पास चलकर
वही है वही मेरी जुस्तजू
तस्वीर जिस की आँखों में है
बहारों की रंगीनियों को चुराकर

रेश्मीं ज़ुल्फ़ें रातों से काली
गुलाबों की सुर्खी, होठों की लाली
चंदन सी बाहें, जन्नत की राहें
उभरता वो सीना, दिलों की तबाही
उभरता वो सीना, दिलों की तबाही
वो आएगी-आएगी मग़रूर दिलबर
सितारों कि दुनिया से इक दिन ज़मीं पर
वो आएगी इक दिन मेरे पास चलकर
वही है वही मेरी जुस्तजू
तस्वीर जिस की आँखों में है
बहारों की रंगीनियों को चुराकर

जमा कर के इन हुस्न की ख़ूबियों को
बनेगी वो मेरे खयालों की मल्लिका
जो आँखों में लेकर नशा हल्का-हल्का
सिमट जाएगी मेरी बाँहों मे आकर
सिमट जाएगी मेरी बाँहों में आकर
मेरी दुनिया रख देगी जन्नत बनाकर
वो कलियों की मुस्कान होंठों पे लेकर
सितारों से वो माँग अपनी सजाकर
वो आएगी इक दिन मेरे पास चलकर
ओ, तू ही है तू, मेरी जुस्तजू
तस्वीर जिस की आँखों में है
तू ही है तू, मेरी जुस्तजू
तस्वीर जिस की आँखों में है

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