"मन चाहे वो पहनूँ", दिल बोले रे ख़ुद को ना टोकूँ, ना रोकूँ रे चल-चल रस्तों पर साथ मेरे तू भी बे-फ़िकर मंज़िल की क्यूँ फ़िकर? मैं मनमौजी रे, मनमौजी रे अपनी धुन में बस मैं मनमौजी रे, मनमौजी रे ♪ थोड़ी सी पगली हूँ, ज़िद्दी भी हूँ बिन बारिश बूँदों के नाचूँगी मैं बँधन तोड़ा, सीमा छोड़ी बस सुनूँ अब मन की बात मैं तो क्या है दिल ये जो टूटा है अगले ही पल ये मन जाए तो क्या है सूरज जो डूबा है आएगा कल मिलने ओ, मनमौजी रे, मनमौजी रे अपनी धुन में बस हाँ, मनमौजी रे, मनमौजी रे ♪ तारों को गिनती हूँ लेटे हुए फूलों की चादर पे सो जाती हूँ बादल जो आएगा आकाश में उनमें भी चेहरे ढूँढा करती हूँ चंदा से लुक्का-छुप्पी खेलूँ उसकी सहेली मैं बन जाऊँ उठना भी ख़ुद से ही सीखा है खाई कभी जो ठोकर ओ, मनमौजी रे, मनमौजी रे अपनी धुन में बस हाँ, मनमौजी रे, मनमौजी रे मनमौजी, मनमौजी, मनमौजी रे हाँ, मनमौजी रे, मनमौजी रे