ख़्वाबों के साए हैं, दिल पे जो छाए हैं तेरी ही बातें हैं दिल में जो मेरे कहीं तेरे बग़ैर कैसे जियूँ? कहानी बन के रहूँ ख़्वाबों से साए हैं तेरे बग़ैर कहीं रातों में छाए हैं, तुमसे कहूँ कि नहीं? तुमसे कहूँ, आधी जो हूँ, प्यार करूँ या ना करूँ? ♪ दिल में लिखता हूँ, तुम कितनी लगती हो प्यारी रात-भर ख़्वाबों में तुमसे कह देता हूँ दिल की सारी सोचती रहती हूँ, "कह दूँ या तुमसे छुपा लूँ?" जान के अनजान होना, सच बोलो, इतना बता दो तेरे बग़ैर कैसे जियूँ? कहानी बन के रहूँ ख़्वाबों से साए हैं तेरे बग़ैर कहीं रातों में छाए हैं, तुमसे कहूँ कि नहीं?