और मैं कुछ नादान सा बैठूँगा किनारे पे कुछ कहने तुम्हें, कुछ कहने खुद को बहाने से क्या हो तुम, क्या हूँ मैं, और क्या है ये सब थक के बैठा, जानना चाहता हूँ अब और मैं कुछ नादान सा बैठूँगा किनारे पे ♪ गहरे पानी की लहरें, बहते-बहते वो ठहरें बात तेरी मुझे वो कह गई "तू ख़तम है जहाँ पे वो शुरू है वहाँ से" इतना कह के मुझे वो बह गई साथ ही बहना, उसे छोड़ना नहीं पास ही रखना, उसे छोड़ना नहीं खास मैं, पास में हो तुम जब हर साँस में, राज़ में हो तुम अब फिर भी मैं नादान सा बैठूँगा किनारे पे कुछ कहने तुम्हें, कुछ कहने खुद को बहाने से क्या हो तुम, क्या हूँ मैं, और क्या है ये सब थक के बैठा, जानना चाहता हूँ अब