ऐसे थे ग़म सारे अपने दिलों को हारे राहों में हम सारे अपने दिलों को हारे कैसे कहूं कैसे जियूं ग़म ये सारे हैं ऐसे मेरे आसूं बहे बागी हैं परवाज़ अरमान फ़िर क्यूं यहीं ऐसे जान देके भी मेरे दिल में है तू ही और कुछ भी नहीं जानम फ़िर भी बाकी हैं आवाज़ और बाकी हैं सवाल अरमान फ़िर क्यूं यहीं ज़िन्दगी बेगानी, अधूरी सी कहानी राहों पे उलझी है, अधूरी सी कहानी कैसे कहूं कैसे जियूं ग़म ये सारे हैं ऐसे मेरे आसूं बहे बागी हैं परवाज़ अरमान फ़िर क्यूं यहीं ऐसे जान देके भी मेरे दिल में है तू ही और कुछ भी नहीं जानम फ़िर भी बाकी हैं आवाज़ और बाकी हैं सवाल अरमान फ़िर क्यूं यहीं खोए सभी हैं भटकी ज़िन्दगी है पीले आसूं है तो क्या आगे चलकर ही गिरके उठकर ही सुनले अपनी तू आवाज़ अरमान फ़िर क्यूं यहीं ऐसे जान देके भी मेरे दिल में है तू ही और कुछ भी नहीं जानम फ़िर भी बाकी हैं आवाज़ और बाकी हैं सवाल अरमान फ़िर क्यूं यहीं