ये रात बड़ी ही ग़लत है इसकी बातों में ना आना ये चाँद बड़ा ही ग़लत है इससे ना आँखें मिलाना तुम नींदों से रख लेना वास्ता अकेले मुझे चलना रास्ता जब हार के सुबह मैं सोऊँगा तुम सपनों में मेरे आ जाना जब हार के सुबह मैं सोऊँगा तुम सपनों में मेरे आ जाना ♪ जब से हुए हैं तुम से जुदा रिश्ते नींदों से ठीक नहीं जब से हुए हैं तुम से जुदा रिश्ते नींदों से ठीक नहीं आँख लगे तो तुम दिखते हो आते मगर नज़दीक नहीं अब कैसे करे ये दिल हौसला? कोई कैसे चले इतना फ़ासला? जब हार के वापस चल दूँगा तुम पीछे-पीछे आ जाना जब हार के सुबह मैं सोऊँगा तुम सपनों में मेरे आ जाना तुझे ज़हन-ओ-दिल में उतार रखा है मैंने याद भी आ जाए तो मुलाक़ात सी लगती है