एक लड़की की तुम्हें क्या सुनाऊँ दास्ताँ एक लड़की की तुम्हें क्या सुनाऊँ दास्ताँ वो पगली है सबसे जुदा, हर पल नई उसकी अदा फूल बरसें, लोग तरसें जाए वो लड़की जहाँ एक लड़की की तुम्हें क्या सुनाऊँ दास्ताँ एक लड़की की तुम्हें क्या सुनाऊँ दास्ताँ वो पगली है सबसे जुदा, हर पल नई उसकी अदा फूल बरसें, लोग तरसें जाए वो लड़की जहाँ एक लड़की की तुम्हें क्या सुनाऊँ दास्ताँ एक लड़की की तुम्हें क्या सुनाऊँ दास्ताँ ♪ है ख़फ़ा तो ख़फ़ा, फिर ख़ुद ही वो मान भी जाती है लाती है होंठों पे मुस्कानें वो हो, चुप है तो चुप है वो, फिर ख़ुद ही वो गुनगुनाती है गाती है मीठी-मीठी तानें वो कैसे कहूँ, कैसी है वो बस अपने ही जैसी है वो फूल बरसें, लोग तरसें जाए वो लड़की जहाँ एक लड़की की तुम्हें क्या सुनाऊँ दास्ताँ एक लड़की की तुम्हें क्या सुनाऊँ दास्ताँ ♪ आजकल हर वो पल बीता जो था उसके साथ में क्या कहूँ, ख़्वाबों में आता है क्यूँ हो, याद जो आए तो उससे बिछड़ने की वो घड़ी क्या कहूँ, दिल दुख सा जाता है क्यूँ अब मैं कहीं, वो है कहीं पर है दुआ, ऐ हमनशीं फूल बरसें, लोग तरसें जाए वो लड़की जहाँ एक लड़की की तुम्हें क्या सुनाऊँ दास्ताँ एक लड़की की तुम्हें क्या सुनाऊँ दास्ताँ वो पगली है सबसे जुदा, हर पल नई उसकी अदा फूल बरसें, लोग तरसें जाए वो लड़की जहाँ एक लड़की की तुम्हें क्या सुनाऊँ दास्ताँ एक लड़की की तुम्हें क्या सुनाऊँ दास्ताँ