चल ज़रा, नर्म सी घास पे हम चलें आ, सुनें पंछियों के सुरों से बनी धुन ज़रा पत्ते की पीठ पे बैठी जो बूँद है बूँद ने तितली के कान में क्या कहा? सुन ज़रा ये पेड़ मेरा जो काटने को रुके थे मेरे गाँव में जो धूप बढ़ी तो बैठ गए वो पेड़ की ही छाँव में चल ज़रा, पेड़ों की छत्रियों के तले कह रही है हवा, जामुनी फूल तू सुन ज़रा ♪ ये पेड़ मेरा जो काटने को रुके थे मेरे गाँव में जो धूप बढ़ी तो बैठ गए वो पेड़ की ही छाँव में चल ज़रा, नर्म सी घास पे हम चलें आ, सुनें पंछियों के सुरों से बनी धुन ज़रा पत्ते की पीठ पे बैठी जो बूँद है बूँद ने तितली के कान में क्या कहा? सुन ज़रा, सुन ज़रा, सुन ज़रा, सुन ज़रा सुन ज़रा, सुन ज़रा, सुन ज़रा