ज़िंदगी मुझको उड़ा के ले जा रही है और मैं चला दूर से आवाज़ कोई आ रही है और मैं चला, मैं चला "क्या हुआ? क्यूँ हुआ?" सोचना छोड़ के चल पड़ा धूप की चादरें ओढ़ के छाँव छुई नहीं रे ज़िंदगी धीमे सुरों में कुछ गा रही है और मैं चला, मैं चला ♪ जो अभी है यहाँ रे, कल जाने हो कहाँ रे तू भी खो जाएगा सितारों में कहीं कभी चुपके से शाम आ के बोली क्यूँ है गुमसुम तू? गीत गा ले कोई जो भी है, सब तेरा है यहाँ ज़िंदगी मुझको उड़ा के ले जा रही है और मैं चला दूर से आवाज़ कोई आ रही है और मैं चला, मैं चला "क्या हुआ? क्यूँ हुआ?" सोचना छोड़ के चल पड़ा धूप की चादरें ओढ़ के छाँव छुई नहीं रे ♪ और मैं चला, मैं चला Mmm-hmm-hmm और मैं चला, मैं चला