Kishore Kumar Hits

Viju Shah - Megha Re Megha şarkı sözleri

Sanatçı: Viju Shah

albüm: Shikhar


(मेघा रे मेघा अंबर के, पानी लाए सागर से)
(नन्हें-नन्हें पौधों पे बूँद बनके ये बरसे)

(मेघा रे मेघा अंबर के, पानी लाए सागर से)
(नन्हें-नन्हें पौधों पे बूँद बनके ये बरसे)
हरी-भरी धरती पे, हो
हरी-भरी धरती पे छलके रंग प्यार के
आज ख़ुशी नाच उठी, देखो, संग-संग बहार के
(मेघा रे मेघा अंबर के, पानी लाए सागर से)
(नन्हें-नन्हें पौधों पे बूँद बनके ये बरसे)
हरी-भरी धरती पे, हो
हरी-भरी धरती पे छलके रंग प्यार के
आज ख़ुशी नाच उठी, देखो, संग-संग बहार के
हो, आज ख़ुशी नाच उठी, देखो, संग-संग बहार के

हो, सिंदूरी सुबह जैसे माथे की बिंदिया
अटखेली करती ये बलखाती नदिया
सिंदूरी सुबह जैसे माथे की बिंदिया
अटखेली करती ये बलखाती नदिया
सतरंगी चुनरी सा झूमे ये मधुबन
धरती ने देखा है सावन का दर्पण
पूरवा का घुँघर बाजे (ओ)
पूरवा का घुँघर बाजे सूर में मल्हार के
आज ख़ुशी नाच उठी, देखो, संग-संग बहार के
(मेघा रे मेघा अंबर के, पानी लाए सागर से)
(नन्हें-नन्हें पौधों पे बूँद बनके ये बरसे)

हो, चंदा, सितारे करें तेरी रे छाया
तेरे लिए मौसम का मेला सजाया
हो, चंदा, सितारे करें तेरी रे छाया
तेरे लिए मौसम का मेला सजाया
माने ना माने तू धड़कन हमारी
हम तेरे साजन, तू सजनी हमारी
रात ने सिंगार किया (ओ)
रात ने सिंगार किया, पल हैं निखार के
आज ख़ुशी नाच उठी, देखो, संग-संग बहार के
(नष्ट करे वन को, जो दुश्मन समाज का)
(कल की ना सोचे, वो तो सोचे बस आज का)
(नष्ट करे वन को, जो दुश्मन समाज का)
(कल की ना सोचे, वो तो सोचे बस आज का)
हरी-भरी धरती पे छलके रंग प्यार के
आज ख़ुशी नाच उठी, देखो, संग-संग बहार के
(हाँ, आज ख़ुशी नाच उठी, देखो, संग-संग बहार के)
हाँ, आज ख़ुशी नाच उठी, देखो, संग-संग बहार के

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