थकी-थकी सी शाम फिर जवाँ होने लगी उजालों ने चुराए हैं रात के सब निशाँ अभी-अभी ज़िंदगी उड़ रही बनके धुँआ-धुँआ कल मिलें ना मिलें, क्या पता कल कहाँ आ, सँवारूँ तुझे कि जी लूँ मैं ये लम्हा ♪ जब यहाँ दिल से दिल मिले, फिर से प्यार की एक हवा बहे बाँहें फैलाए आ गए हैं मिलने को बेक़रार से ढूँढते-फिरते थे पाने को जिसे बैठे हैं पहलुओं में लेकर के किसे हसरतें थी किसी की, किसी के नाम हो गई थकी-थकी सी शाम फिर जवाँ होने लगी उजालों ने... Yeah-yeah, whoa-whoa-oh Hmm, yeah-eh-eh आसमाँ से उतरता शोर चमक रहा है पोर-पोर झिलमिलाती हुई, ये रात गाती हुई इक सुहागन सी रात ये सुहाना समाँ कल मिलें ना मिलें, क्या पता कल कहाँ आ, सँवारूँ तुझे कि जी लूँ मैं... थकी-थकी सी शाम फिर जवाँ हो गई (हो गई) थकी-थकी सी शाम फिर जवाँ हो गई (शाम जवाँ) हाँ, थकी सी शाम फिर जवाँ होने लगी थकी-थकी, थकी-थकी थकी, थकी-थकी