सुनीता सुनीता सुनीता, सुनीता सुनीता सुनीता
सुनीता सुनीता सुनीता
ऐसा कभी हुवा नही, जो भी हुवा खूब हुवा
ऐसा कभी हुवा नही, जो भी हुवा खूब हुवा
देखते ही तुझे होश गुम हुए
होश आया तो, दिल मेरा दिल ना रहा
ऐसा कभी हुवा नही, जो भी हुवा खूब हुवा
रेशमी जुल्फे हैं, सावन की घटाओ जैसी
पलके हैं तेरी, घने पेड़ की छाव जैसी
भोलापन और हँसी आफ़री आफ़री
ऐसा कभी हुवा नही, जो भी हुवा खूब हुवा
देखते ही तुझे होश गुम हुए
होश आया तो, दिल मेरा दिल ना रहा
ऐसा कभी हुवा नही, जो भी हुवा खूब हुवा
झील सी आँखो मे, मस्ती के जाम लहराए
जब होंठ खुले तेरे, सरगम बजे महके फिजाये
हर अदा दिलनशी आफ़री, आफ़री
ऐसा कभी हुवा नही, जो भी हुवा खूब हुवा
देखते ही तुझे होश गुम हुए
होश आया तो, दिल मेरा दिल ना रहा
ऐसा कभी हुवा नही, जो भी हुवा खूब हुवा
पतली सी गर्दन मे, एक बल है सुराही जैसा
अंदाज मटकने का, देखा ना किसी ने ऐसा
गुलबदन नाज़नीन, आफ़री आफ़री
ऐसा कभी हुवा नही, जो भी हुवा खूब हुवा
देखते ही तुझे होश गुम हुए
होश आया तो, दिल मेरा दिल ना रहा
ऐसा कभी हुवा नही, जो भी हुवा खूब हुवा
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