ना कोई दिल में समाया ना कोई पहलूँ में आया जा के भी पास रही तुम ही ओ, जान-ए-जाँ, जान-ए-मन, जानती हो? ना कोई दिल में समाया ना कोई पहलूँ में आया जा के भी पास रही तुम ही ओ, जान-ए-जाँ, जान-ए-मन, जानती हो? ♪ क्यूँ तुमने दामन चुराया? तुम जानो, मैं क्या बताऊँ मुझ में ही कुछ ऐब होगा क्यूँ तुमपे तोहमत लगाऊँ? मैं तो यही कहूँगा पूछोगी जब भी जा के भी पास रही तुम ही ओ, जान-ए-जाँ, जान-ए-मन, जानती हो? ♪ तुम जो मुझे दे गई हो इक ख़ूबसूरत निशानी लिपटा के सीने से उसको कट जाएगी ज़िंदगानी मैं तो यही कहूँगा पूछोगी जब भी जा के भी पास रही तुम ही ओ, जान-ए-जाँ, जान-ए-मन, जानती हो? ना कोई दिल में समाया ना कोई पहलूँ में आया जा के भी पास रही तुम ही ओ, जान-ए-जाँ, जान-ए-मन