पल-पल दिल के पास तुम रहती हो पल-पल दिल के पास तुम रहती हो "जीवन मीठी प्यास," ये कहती हो पल-पल दिल के पास तुम रहती हो हर शाम में आँखों पर तेरा आँचल लहराए हर रात यादों की बारात ले आए मैं साँस लेता हूँ, तेरी खुशबू आती है एक महका-महका सा पैग़ाम लाती है मेरे दिल की धड़कन भी तेरे गीत गाती है पल-पल दिल के पास तुम रहती हो कल तुझको देखा था मैंने अपने आँगन में जैसे कह रही थी तुम; "मुझे बाँध लो बंधन में" ये कैसा रिश्ता है? ये कैसे सपने हैं? बेगाने होकर भी क्यूँ लगते अपने हैं? मैं सोच में रहता हूँ, डर-डर के कहता हूँ "पल-पल दिल के पास तुम रहती हो पल-पल दिल के पास तुम रहती हो"