तुम तो दरअसल ख़्वाब की बात हो चलती मेरे ख़यालों में तुम साथ-साथ हो मिलती है जो अचानक वो सौग़ात हो तुम तो दरअसल मीठी सी प्यास हो लगता है ये हमेशा कि तुम आस-पास हो ठहरा है जो लबों पे वो एहसास हो तेरी अदा, अदा पे मरता मैं वफ़ा, वफ़ा सी करता क्यूँ हदों से हूँ गुज़रता मैं ज़रा, ज़रा, ज़रा? तुम तो दरअसल साँसों का साज़ हो दिल में मेरे छुपा जो वही राज़, राज़ हो कल भी मेरा तुम्हीं हो, मेरा आज हो कल भी मेरा तुम्हीं हो, मेरा आज हो ♪ बारिश का पानी हो तुम, काग़ज़ की कश्ती हूँ मैं तुझमें कहीं मैं बह जाता हूँ, हो-हो मिलने हूँ तुमसे आता, वापस नहीं जा पाता थोड़ा वहीं मैं रह जाता हूँ, हो-हो तुम तो दरअसल इक नया नूर हो मुझमें भी हो ज़रा सी, ज़रा दूर-दूर हो जैसी भी हो, हमेशा ही मंज़ूर हो जैसी भी हो, हमेशा ही मंज़ूर हो