लहराती हुई राहें, खोले हुए हैं बाँहें ये हम आ गए हैं कहाँ? पलकों पे गहरे हलके, है रेशमी धुँधल के ये हम आ गए हैं कहाँ? हाँ, ये हम आ गए हैं कहाँ? वो देखो ज़रा पर्बतों पे घटाएँ हमारी दास्ताँ हौले से सुनाएँ सुनो तो ज़रा ये फूलों की वादी हमारी ही कोई कहानी है सुनाती सपनों के इस नगर में, यादों की रहगुज़र में ये हम आ गए हैं कहाँ? हाँ, ये हम आ गए हैं कहाँ? जो राहों में है रुत ने सोना बिखेरा सुनहरा हुआ तेरा-मेरा सँवेरा ज़मीं सो गई बर्फ़ की चादरों में बस इक आग सी जलती है दो दिलों में हवाएँ सनासनाए, बदन काँप जाएँ ये हम आ गए हैं कहाँ? हाँ, ये हम आ गए हैं कहाँ? ये बरसात भी कब थमे कौन जाने तुम्हें मिल गए प्यार के १०० बहाने सितारों की है जैसे बरात आयी हमारे लिए रात यूँ जगमगाई सपने भी झिलमिलाएँ, दिल में दीये जलाएँ ये हम आ गए हैं कहाँ? हाँ, ये हम आ गए हैं कहाँ? हाँ ये हम आ गए हैं कहाँ?