इश्क़िया इश्क़िया रुक-रुक के कहते हैं झुक-झुक के रहते हैं दिल का मिज़ाज इश्क़िया दिल का मिज़ाज इश्क़िया इश्क़िया इश्क़िया इश्क़िया इश्क़िया तन्हा है लोगों में, लोगों में तन्हाई दिल का मिज़ाज इश्क़िया दिल का मिज़ाज इश्क़िया चोटें भी खाए (खाए, खाए) और गुनगुनाए (नाए, नाए) ऐसा ही था ये (था ये) ऐसा ही है ये मस्ती में रहता है, मस्ताना सौदाई दिल का मिज़ाज इश्क़िया अरे, दिल का मिज़ाज इश्क़िया इश्क़िया इश्क़िया शर्मीला-शर्मीला पर्दे में रहता है दर्दों के छोंके भी चुपके से सहता निकलता नहीं है गली से कभी निकल जाए तो दिल भटक जाता है अरे, बच्चा है आख़िर बहक जाता है ख़्वाबों में रहता है बचपन से हरजाई दिल का मिज़ाज इश्क़िया इश्क़िया इश्क़िया