बेपरवाह तू गुनगुनाती है जैसे मैं राही नहीं था कभी फ़ैसला ये तेरा वाक़िफ़ हूँ मैं कोई मुजरिम तो मैं नहीं बात जो छुपानी थी वो जाने क्यूँ कह गया रात अकेले बितानी थी जो तेरे साथ बह गया ♪ सबकुछ है यहाँ, कुछ खोया नहीं आँखें अगर बंद करूँ तू है यही मुस्कुराती हुई बेफ़िकर हूँ मैं और तू बात जो छुपानी थी वो जाने क्यूँ कह गया रात अकेले बितानी थी जो तेरे साथ बह गया ♪ रात का अंधेरा है वक़्त आगे और पीछे मैं चाँद भी तो अकेला है