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Navya Sharma - Raat şarkı sözleri

Sanatçı: Navya Sharma

albüm: Raat


बेपरवाह तू गुनगुनाती है जैसे
मैं राही नहीं था कभी
फ़ैसला ये तेरा वाक़िफ़ हूँ मैं
कोई मुजरिम तो मैं नहीं
बात जो छुपानी थी वो
जाने क्यूँ कह गया
रात अकेले बितानी थी जो
तेरे साथ बह गया

सबकुछ है यहाँ, कुछ खोया नहीं
आँखें अगर बंद करूँ
तू है यही मुस्कुराती हुई
बेफ़िकर हूँ मैं और तू
बात जो छुपानी थी वो
जाने क्यूँ कह गया
रात अकेले बितानी थी जो
तेरे साथ बह गया

रात का अंधेरा है
वक़्त आगे और पीछे मैं
चाँद भी तो अकेला है

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