Kishore Kumar Hits

Prateek Kuhad - Kasoor - Acoustic şarkı sözleri

Sanatçı: Prateek Kuhad

albüm: Shehron Ke Raaz


हाँ, मैं गुमसुम हूँ इन राहों की तरह
तेरे ख़्वाबों में, तेरी ख़्वाहिशों में छुपा
ना जाने क्यूँ है ये रोज़ का सिलसिला
तू रूह की है दास्ताँ
तेरे ज़ुल्फ़ों की ये नमी
तेरी आँखों का ये नशा
यहाँ खो भी जाऊँ तो मैं
क्या क़सूर है मेरा?

क्यूँ ये अफ़साने इन लम्हों में खो गए?
हम घायल थे, इन लफ़्ज़ों में खो गए
थे हम अंजाने, अब दिल में तुम हो छुपी
हम हैं सहर की परछाइयाँ
तेरे साँसों की रात है
तेरे होंठों की है सुबह
यहाँ खो भी जाऊँ तो मैं
क्या क़सूर है मेरा?
क्या क़सूर है मेरा?

तेरे ज़ुल्फ़ों की ये नमी
तेरी आँखों का ये नशा
यहाँ खो भी जाऊँ तो मैं
क्या क़सूर है मेरा?
तेरे साँसों की रात है
तेरे होंठों की है सुबह
यहाँ खो भी जाऊँ तो मैं
क्या क़सूर है मेरा?
क्या क़सूर है मेरा?
क्या क़सूर है मेरा?

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