अब क्या कहे उनसे जनाब पिछले गुरुर टूटे नहीं थे हर घड़ी जो रूबरू अब एक शाम मुमकिन नहीं ♪ है कयामत ये मोहब्बत हारे हैं हम ना शिकवा कोई ये दास्ताँ अब मुक्तसर क्यों है खफा सुन तो सही सुनता है मेरे यार तू है सही तुम ऐ दिल-ए-गुलाम सुनता है मेरे यार के मंज़िलें मिले अपना मकाम ♪ थी हसरत है जिनसे हज़ार रुखसत हुए अक्सर वही हर शिकायत अब बेअसर क्यों है खफा सुन तो सही सुनता है मेरे यार तू है सही तुम ऐ दिल-ए-गुलाम सुनता है मेरे यार के मंज़िलें मिले अपना मकाम ♪ थी हसरत है जिनसे हज़ार रुखसत हुए अक्सर वही है दास्तान यह मुख़्तसर क्यों है खफा सुन तो सही ♪ सुनता है मेरे यार तू है सही तुम ऐ दिल-ए-गुलाम सुनता है मेरे यार के मंज़िलें मिले अपना मकाम