Kishore Kumar Hits

Shivali - Hanuman Chalisa şarkı sözleri

Sanatçı: Shivali

albüm: The Bhajan Project


श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि
बरनऊं रघुबर विमल जसु, जो दायकु फल चारि
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवन-कुमार
बल, बुधि, बिद्या देहु मोहिं, हरहुं कलेस विकार
आ, जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अञ्जनि-पुत्र पवनसुत नामा
महावीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन वरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा
हाथ बज्र और ध्वजा विराजे
काँधे मूँज जनेऊ साजे
शंकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महा जग वन्दन
बिद्यावान गुणी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम, लखन, सीता मन बसिया
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जलावा
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचंद्र के काज संवारे
लाय संजीवन लखन जी आए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए
रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरतहिं सम भाई
सहस बदन तुम्हरो जश गावें
अस कहि श्री पति कण्ठ लगावें
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद-सारद सहित अहीसा
यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कबि कोबिद कहे सके कहाँ ते
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा
तुम्हरो मंत्र विभीषण मानो
लंकेश्वर भय सब जग जान
जुग सहस्र जो जन पर भानु
लील्यो ताहि मधुर फल जानू
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लाँघि गए अचरज नाहीं
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते
राम दुआरे तुम रखवारे
होत ना आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रच्छक काहू को डरना
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनों लोक हाँक तें काँपे
भूत-पिसाच निकट नहिं आवे
महाबीर जब नाम सुनावे
नासे रोग हरे सब पीरा
जपत निरन्तर हनुमत वीरा
संकट तें हनुमान छुड़ावे
मन क्रम वचन ध्यान जो लावे
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावे
सोई अमित जीवन फल पावे
चारों जुग प्रताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा
तुम्हरे भजन राम को पावें
जनम-जनम के दुख बिसरावे
अन्त काल रघुबर पुर जाई
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई
और देवता चित्त ना धरई
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई
संकट कटे मिटे सब पीरा
जो सुमिरे हनुमत बलबीरा
जय-जय-जय हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महा सुख होई
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय महा डेरा
पवन तनय संकट हरना
मंगल मूरति रूप
राम, लखन, सीता सहित
हृदय बसहु सुर भूप

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