ऐश कराँदे ने संगताँ नूँ गुरूजी
गुरूजी ने ऐश कराई ए
दित्ती चरनाँ च थाँ
नित शुकर कराँ
बल्ले बल्ले बल्ले करदी फिराँ
कि मौज लगाई ए
औखे नूँ कीता ए सौखा हमेशा
ख़ुशियाँ दा बख़्शा ए मौक़ा हमेशा
चंगियाँ रूहाँ नाल मेल कराया
बदियाँ बुराइयाँ तों रोका हमेशा
मेरे सतगुरु दी
नइयों रीस कोई
बल्ले बल्ले बल्ले करदी फिराँ
कि मौज लगाई ए
बेकार पंगेयाँ च कानूँ पवाँ मै
राज़ी रज़ा च ओदी रवाँ मैं
सुख होवे, दुख होवे, जग तों लुकावाँ
पर अपणे साईं नूँ खुल के कवाँ मैं
लजपाल मेरा
लज रखदा सदा
बल्ले बल्ले बल्ले करदी फिराँ
कि मौज लगाई ए
कीवें कराँ तेरी तारीफ़ दाता
उम्मीद तों वी तू देना एँ ज़्यादा
मजबूरियाँ बिन बोले समझदा
अफ़सोस फिर होवे 'साहिल' नूँ कादा
महिमा वे बड़ी
जावे न कही
बल्ले बल्ले बल्ले करदी फिराँ
कि मौज लगाई ए
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