सिंदूर तन पे मल के ज्वाला से जगमगाएँ कानों के दोनों कुंडल तारों से झिलमिलाएँ ♪ हो, सिंदूर तन पे मल के ज्वाला से जगमगाएँ कानों के दोनों कुंडल तारों से झिलमिलाएँ संभव नहीं, हमारे ये पाँव लड़खड़ाएँ थामे हुए हैं हमको हनुमान की भुजाएँ चिंता के मेघ गरजे, पर हम डरे कहाँ हैं बजरंग, दुख जगत के तुमसे बड़े कहाँ हैं चिंता के मेघ गरजे, पर हम डरे कहाँ हैं बजरंग, दुख जगत के तुमसे बड़े कहाँ हैं ♪ सागर के पार जाकर सीता को खोज लाए संजीवनी का पर्बत हाथों पे हो उठाए लंका जला दी जिसने वो शूरवीर तुम हो जो चीर दे गगन को वो अग्नि तीर तुम हो हे राम दूत आओ, हे राम दूत आओ जिसे तुम ना भेद पाओ संकट हमारे आख़िर इतने कड़े कहाँ हैं बजरंग, दुख जगत के तुमसे बड़े कहाँ हैं चिंता के मेघ गरजे, पर हम डरे कहाँ हैं बजरंग, दुख जगत के तुमसे बड़े कहाँ हैं ♪ किसको झुकाएँ माथा, किससे लगाएँ आशा तुम ने ही पाला-पोसा, तुम पे ही है भरोसा हे राम के पुजारी, दुविधा हरो हमारी याचक खड़ा है आके द्वारे हे नाथ, बिन तुम्हारे दुखिया करे कहाँ हैं बजरंग, दुख जगत के तुमसे बड़े कहाँ हैं चिंता के मेघ गरजे, पर हम डरे कहाँ हैं बजरंग, दुख जगत के तुमसे बड़े कहाँ हैं